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महाभारत भारतीय संस्कृतिका, आर्य सनातन-धर्मका अद्द्भुत महाग्रन्थ है। महाभारत को पंचम वेद भी कहा जाता है। इस महाग्रन्थमें उपनिषदोंका सार, इतिहास, पुराणोंका उन्मेष, निमेष, चातुर्वर्णका विधान, पुराणोंका आशय, ग्रह, नक्षत्र, तारा आदिका परिमाण तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, समुद्रों तथा वनोंका वर्णन होनेके कारण यह अनन्त गूढ़, गुह्य रत्नोंका भण्डार है। और इसमें अनन्त निखिल रसामृत-अवतार, प्रेमाधार भगवन श्रीकृष्णके गुण-गौरवका गान आदि है। यह छः खण्डों में प्रकाशित है। 1172 पेज में प्रस्तुत है। भाग 1

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